हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम बिट्टू झा है। मैं बिहार के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ, जहाँ गर्मियों की दोपहरें इतनी सुस्त होती हैं कि समय काटना मुश्किल हो जाता है। मेरी उम्र 22 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरे पापा और बड़े पापा का परिवार एक ही बड़े से आंगन वाले घर में रहता है, बस दीवारों से बँटा हुआ है। मेरे बड़े पापा के दो बेटे हैं—अमन भैया, जिनकी शादी को दो साल हो चुके हैं, और सुमित, जो मुझसे बस एक साल छोटा है। अमन भैया की पत्नी, यानी मेरी भाभी, पूजा, इस कहानी की असली किरदार हैं। उनकी उम्र 24 साल है, और वो ऐसी खूबसूरत हैं कि गाँव के सारे लड़के उनके दीवाने हैं। उनकी बड़ी-बड़ी आँखें, जो किसी हिरनी की तरह चमकती हैं, और लाल, रसीले होंठ, जो देखते ही चूसने का मन करता है। उनके मम्मे, बिल्कुल गोल, नरम, और भरे हुए, जैसे हवा से भरे गुब्बारे, जिन्हें देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। और उनकी चूत? वो तो रबड़ी की तरह रसीली और इतनी मस्त कि बस उसे चाटने का मन करे। उनकी कमर पतली, गांड भारी और गोल, जैसे किसी मॉडल की। जब वो चलती हैं, तो उनकी गांड का उछाल देखकर हर मर्द का दिल धड़क उठता है।
मेरे और बड़े पापा का घर अगल-बगल है, तो मैं अक्सर उनके घर चला जाता था। गर्मियों की छुट्टियों में, जब कॉलेज बंद था, मैं दोपहर में भाभी के पास समय बिताने चला जाता। बड़े पापा ज्यादातर बाहर रहते थे, और अमन भैया सुबह अपनी सरकारी नौकरी के लिए निकल जाते। घर में सिर्फ बड़ी मम्मी, सुमित, और भाभी रहते। बड़ी मम्मी तो ज्यादातर बरामदे में बैठकर पड़ोसियों से गपशप करती थीं, और सुमित अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने निकल जाता। ऐसे में भाभी के साथ अकेले में बातें करने का मौका मिल जाता था। भाभी बहुत हँसमुख थीं। उनके साथ बातें करना, मजाक करना, ऐसा लगता था जैसे वो मेरी दोस्त हों। मैं उनके कमरे में बेड पर लेटकर टीवी देखता, और वो पास में बैठकर या लेटकर मुझसे खुलकर बातें करतीं। उनकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी, जो मेरे दिल को छू जाती थी।
एक दोपहर मैं भाभी के कमरे में लेटा हुआ एक मूवी देख रहा था, जिसमें कुछ गर्मागर्म सीन चल रहे थे। भाभी ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, “क्या देवर जी, इतने ध्यान से क्या देख रहे हो?” मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “बस भाभी, थोड़ा मस्त सीन चल रहा है, वही देख रहा हूँ।” भाभी ने ठहाका लगाया और बोलीं, “अरे, जब शादी हो जाएगी, तो ये सब देखने से काम नहीं चलेगा, करना भी पड़ेगा!” मैंने भी बिना शरमाए जवाब दिया, “करना तो आता है, भाभी। और अगर नहीं आया, तो आप सिखा देना!” भाभी ने हँसते हुए कहा, “मैं क्यों सिखाऊँ? मैं तुम्हारी बीवी थोड़ी हूँ!” मैंने तपाक से जवाब दिया, “बीवी नहीं, पर भाभी तो हो ना!” ये सुनकर भाभी जोर से हँसीं, और माहौल हल्का हो गया। लेकिन मेरे लंड में हलचल शुरू हो चुकी थी। भाभी की बातें, उनकी हँसी, और वो रसीली आँखें मेरे दिमाग में कुछ और ही खयाल ला रही थीं।
धीरे-धीरे हमारी बातें और खुलती गईं। मैं रोज दोपहर में उनके कमरे में जाता, और हमारी बातें अब बिंदास हो गई थीं। भाभी भी मुझसे बिना शरमाए मजाक करतीं। एक दिन बातों-बातों में मैंने पूछ लिया, “भाभी, शादी से पहले आपका कोई बॉयफ्रेंड था?” भाभी थोड़ा रुकीं, फिर बोलीं, “किसी को बताना मत, बिट्टू। हाँ, जब मैं इंटर में थी, एक लड़का था। वो मुझे बहुत पसंद करता था, और मैं भी उसे।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “कुछ हुआ था आप दोनों के बीच?” भाभी ने शरमाते हुए कहा, “हाँ, एक बार मैंने स्कूल बंक किया और उसके दोस्त के रूम पर गई। हमने किस किया, और… थोड़ा बहुत सेक्स भी हुआ।” ये सुनकर मेरा लंड तन गया। मैंने भी खुलकर बताया, “मेरी भी एक गर्लफ्रेंड है, भाभी। हमने भी कई बार चुदाई की है।” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिट्टू, तू तो बड़ा तेज निकला!” हमारी बातें अब इतनी खुली थीं कि कोई शर्म नहीं बची थी।
कुछ दिन बाद अमन भैया को अपनी नौकरी के सिलसिले में 15 दिनों के लिए मुंबई जाना पड़ा। भाभी घर में अकेली थीं, और मैं देख रहा था कि वो थोड़ी उदास और बेचैन रहने लगी थीं। शायद उनकी चुदाई नहीं हो रही थी, और वो कामुकता से तड़प रही थीं। एक दोपहर मैं उनके कमरे में गया। भाभी एक पतली सी मैक्सी में लेटी थीं, जिसके नीचे उनकी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। मैंने मजाक में चुपके से पीछे से उनकी आँखें पकड़ लीं। भाभी ने मेरे हाथों को सहलाया, लेकिन पहचान नहीं पाईं। इस दौरान मेरा हाथ गलती से उनकी चूची पर लग गया। उनकी साँसें तेज हो गईं, और मैंने फट से हाथ हटा लिया। मेरा लंड तन चुका था, और मैं उनके बगल में बैठ गया।
भाभी की मैक्सी इतनी पतली थी कि उनके निप्पल्स की छाप साफ दिख रही थी। मैं कामातुर हो रहा था, और मेरा लंड पैंट में उछल रहा था। भाभी ने अंगड़ाई लेते हुए अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। उनकी उंगलियाँ मेरी जांघ पर हल्के-हल्के चल रही थीं, जिससे मेरा लंड और सख्त हो गया। फिर भाभी ने धीरे से अपना हाथ मेरे लंड तक ले गईं। मैंने चौंककर कहा, “भाभी, ये क्या कर रही हो?” भाभी ने जोश भरी आवाज़ में कहा, “बिट्टू, तुम्हारे भैया इतने दिनों से बाहर हैं। जब वो थे, तो मेरी रोज चुदाई होती थी। अब कई दिन हो गए, मेरी चूत तड़प रही है। तुम्हारा हाथ मेरी चूची पर लगा, तो मेरा मन चुदने को करने लगा। क्या तू मुझे चोद सकता है?”
मैंने हिचकिचाते हुए कहा, “अगर किसी को पता चल गया तो?” भाभी ने कहा, “किसी को कुछ नहीं पता चलेगा।” मेरा भी मन चुदाई के लिए मचल रहा था। मैंने कई दिनों से किसी की बुर नहीं चोदी थी। भाभी ने दरवाजा बंद किया और मेरे पास आईं। मैंने उनके हाथ पकड़े और कुत्ते की तरह चाटते हुए उनकी गर्दन की ओर बढ़ा। उनकी गर्दन को चूमते हुए मैं उनके मम्मों को मैक्सी के ऊपर से दबाने लगा। भाभी मचलने लगीं, उनका शरीर गर्म हो रहा था। मैंने उनकी मैक्सी उतार दी। वो अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं। उनका गोरा, चिकना शरीर देखकर मेरा लंड पागल हो गया। मैंने उनके पैरों की उंगलियाँ चूसना शुरू किया, फिर धीरे-धीरे उनकी चिकनी जांघों तक पहुँचा। उनकी जांघें इतनी मुलायम थीं कि मेरा मन उन्हें काटने को कर रहा था। मैंने उनकी नाभि को चूमा, फिर उनकी ब्रा उतार दी। उनके गोल, रसीले मम्मे मेरे सामने थे। मैंने उन्हें मसलते हुए चूसना शुरू किया। भाभी सिसक रही थीं, “आह… बिट्टू… आह… और जोर से…”
मैंने उनकी चूचियों को दाँतों से हल्का सा काटा, जिससे वो और तड़प उठीं। फिर मैंने उनकी पैंटी उतारी। उनकी चूत साफ और रसीली थी, जैसे ताज़ा मलाई। मैंने पहले उसे सहलाया, फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। भाभी की चूत की खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ रही थी। मैं उनकी चूत को चाटते हुए उनके मम्मों को मसल रहा था। भाभी की सिसकियाँ बढ़ रही थीं, “आह… बिट्टू… और चाट… उफ्फ… मेरी चूत को खा जा…” उनकी चूत से रस टपक रहा था, और मैं उसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा शेर।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना 9 इंच का लंड बाहर निकाला। वो बैंगन की तरह मोटा और कड़क था। मैंने उसे भाभी की चूत पर रगड़ा। भाभी तड़प रही थीं, “बिट्टू, अब डाल दे… मेरी चूत फट रही है…” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। भाभी चीख पड़ीं, “आह… मर गई…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, फिर स्पीड बढ़ा दी। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में मजा ले रहा था। भाभी अपनी कमर उठाकर मुझसे चुदवा रही थीं, “आह… बिट्टू… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत को…” मैं उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी चूत को पेल रहा था। कमरे में सिर्फ चट-चट की आवाज़ और भाभी की सिसकियाँ गूँज रही थीं।
करीब 20 मिनट तक चुदाई के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनकी चूचियों के बीच रखकर पेलने लगा। भाभी अपनी चूचियाँ दबाकर मुझे और मजा दे रही थीं। जल्द ही मेरा माल निकल गया, और मैंने उनकी चूचियों पर सारा माल गिरा दिया। भाभी हाँफ रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में संतुष्टि थी। मैंने पूछा, “भाभी, अब क्या?” उन्होंने कहा, “जब तक भैया नहीं आते, तू रोज दोपहर में आना और मेरी चुदाई करना।”
अगले 10 दिन मैं रोज दोपहर में भाभी की चूत बजाता। हर बार नया मजा आता। कभी मैं उनकी गांड को सहलाता, कभी उनकी चूत को चाटता, और कभी उनकी चूचियों को मसलते हुए चोदता। भाभी भी हर बार नए-नए तरीके से चुदवातीं। एक दिन तो उन्होंने मुझे अपनी गांड भी मारने को कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया, क्योंकि मुझे डर था कि कहीं ज्यादा दर्द न हो जाए।
फिर भैया वापस आ गए। अब मुझे मौका नहीं मिल रहा था। एक दिन जब घर में कोई नहीं था, मैंने भाभी से चुदाई की गुहार लगाई। वो मना कर रही थीं, लेकिन मैंने उन्हें मना लिया। हम कमरे में चुदाई में मस्त थे कि अचानक भैया आ गए। उन्होंने हमें रंगे हाथों पकड़ लिया। भैया का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने पहले मुझे पकड़कर खूब मारा, फिर भाभी को भी डांटा। भैया ने कहा, “दोबारा मेरे घर में कदम मत रखना!” मैं डर के मारे चुपचाप निकल गया।
उसके बाद मैंने भाभी से दूरी बना ली। अब भी जब उनकी याद आती है, तो मेरा लंड तन जाता है, लेकिन मैं भैया के डर से उनके घर नहीं जाता। ये थी मेरी सच्ची कहानी, दोस्तों। आशा है आपको पसंद आई होगी।
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