नेहा अब रामपाल के साथ अपने नए रिश्ते को पूरी तरह से स्वीकार चुकी थी। कुछ ही दिनों में उनके बीच की सारी झिझक खत्म हो गई थी। हालांकि नेहा को कभी-कभी अपने पति विनोद के बारे में सोचकर थोड़ा सा पछतावा होता था, लेकिन वह खुद को यह कहकर सांत्वना देती कि यह सिर्फ एक शारीरिक संबंध था।
कहानी का पहला भाग: ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 1
आज की रात कुछ खास थी। विनोद फिर से काम के सिलसिले में शहर से बाहर गया हुआ था और नेहा और रामपाल घर पर अकेले थे। रामपाल को नेहा का इंतजार था, और नेहा खुद भी अब इस खेल में पूरी तरह से रम चुकी थी। उसने आज खुद को खास तरीके से सजाया था। नेहा ने एक लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू हल्का सा नीचे लटका हुआ था। उसने अपनी चूचियों को और उभारने के लिए एक तंग ब्लाउज पहना था।
उसकी कमर पर बंधी पतली चेन उसकी गोरी त्वचा पर चमक रही थी। नेहा ने आज अपना पूरा ध्यान अपने सिंगार पर लगाया था, क्योंकि वह जानती थी कि रामपाल को इस तरह सजने-संवरने वाली औरतें बेहद पसंद थीं। रामपाल ने जब नेहा को इस रूप में देखा, तो उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई।
उसने नेहा के करीब आकर उसकी कमर पर हाथ रख दिया। नेहा ने मुस्कराते हुए कहा, “बाबूजी, आज मैं आपके लिए खास तौर पर तैयार हुई हूं।” रामपाल ने उसकी कमर पर अपनी उंगलियाँ घुमाते हुए कहा, “तू आज बेहद खूबसूरत लग रही है, बहू। मैं खुद को रोक नहीं पा रहा।” नेहा ने अपनी नजरें झुका लीं, लेकिन उसके होंठों पर एक शरारती मुस्कान थी।
उसने रामपाल को और करीब खींच लिया और उसके सीने से लग गई। रामपाल ने उसे अपने मजबूत हाथों में जकड़ लिया और उसकी पीठ पर अपनी उंगलियाँ फिराने लगा। नेहा का बदन कांपने लगा था। उसने रामपाल की ओर देखा और कहा, “बाबूजी, आज रात मैं आपकी हर ख्वाहिश पूरी करूंगी।” रामपाल ने उसकी आंखों में देखा और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया। नेहा ने सिसकारी भरी और रामपाल के गले से लिपट गई। फिर रामपाल ने नेहा की साड़ी का पल्लू हटाया और उसकी नाभि पर अपने होंठ रख दिए।
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नेहा की सांसें तेज हो गईं और उसने खुद को पूरी तरह से रामपाल के हवाले कर दिया। रामपाल ने नेहा के पेट पर अपने होंठों से चुंबन किए और धीरे-धीरे उसकी साड़ी को पूरी तरह से खोल दिया। अब नेहा सिर्फ अपने ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसकी चूचियाँ उभार के साथ बाहर झलक रही थीं, और उसका बदन गर्मी से तप रहा था।
नेहा आज पूरी तरह से तैयार थी कि वह रामपाल को ऐसा मजा देगी जो उसने कभी पहले नहीं लिया होगा। अब तक रामपाल ने ही पहल की थी, लेकिन आज नेहा ने ठान लिया था कि वह इस खेल में पूरी तरह से आगे बढ़ेगी। उसने रामपाल को बिस्तर पर धकेलते हुए कहा, “बाबूजी, आज मैं आपको वो सब कुछ दिखाऊंगी, जो आप कभी नहीं भूल पाएंगे।” रामपाल ने नेहा की आंखों में एक अलग सी चमक देखी।
उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी बहू इतनी बेबाकी से उसके सामने आ जाएगी। नेहा अब पूरी तरह से नियंत्रण में थी। उसने रामपाल की शर्ट के बटन खोलने शुरू किए और धीरे-धीरे उसके सीने को चूमने लगी। “आपने हमेशा मुझे खुश किया है, बाबूजी, आज आपकी बारी है,” नेहा ने शरारती अंदाज में कहा।
नेहा ने रामपाल की पैंट को खींचकर उतार दिया और उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया। अब रामपाल बिस्तर पर निढाल पड़ा हुआ था, और नेहा ने उसे अपनी आंखों से निहारा। उसने रामपाल के लिंग पर हाथ फेरा और उसे सहलाते हुए कहा, “बाबूजी, आज मैं आपको हर तरह से संतुष्ट करूंगी।” नेहा अब नीचे झुकी और रामपाल के लिंग को अपने मुंह में लेना शुरू किया। वह धीरे-धीरे उसे चूसने लगी, और उसकी उंगलियाँ रामपाल की जांघों पर घूमने लगीं। रामपाल ने एक सिसकारी भरी और नेहा के बालों को पकड़ लिया।
नेहा ने उसकी हरकतों को महसूस करते हुए अपनी रफ्तार तेज कर दी। लेकिन नेहा यहीं नहीं रुकी। उसने रामपाल की जांघों को और फैलाया और उसकी गांड के पास अपनी जीभ ले गई। रामपाल यह महसूस करके चौक गया, लेकिन नेहा ने उसे आश्वासन दिया, “बाबूजी, मैं आपको ऐसा आनंद दूंगी, जिसे आपने कभी महसूस नहीं किया होगा।” नेहा ने रामपाल की गांड के पास अपनी जीभ फिराई और धीरे-धीरे उसे चाटना शुरू किया। रामपाल के होश उड़ गए।
उसने कभी सोचा भी नहीं था कि नेहा उसके साथ इस तरह की हरकतें करेगी। वह रामपाल की गांड को चाट रही थी और उसके लिंग को अपने हाथों से मसल रही थी। रामपाल की सिसकारियां और तेज हो गई थीं। उसने नेहा के बालों को कसकर पकड़ लिया और खुद को पूरी तरह से उसके हवाले कर दिया। नेहा की हरकतें उसे पागल बना रही थीं। नेहा अब और भी गहराई में उतर चुकी थी। उसने रामपाल की गांड में अपनी एक ऊँगली डाली और उसे हल्के से मसलने लगी। रामपाल की आवाज अब और तेज हो गई थी। वह पूरी तरह से नेहा के जाल में फंस चुका था। नेहा ने अब अपनी हरकतें और तेज कर दीं। उसने रामपाल के लिंग को फिर से अपने मुंह में लिया और उसे जोर-जोर से चूसने लगी। उसकी उंगलियाँ रामपाल की गांड में घूम रही थीं, और रामपाल अब खुद को रोक नहीं पा रहा था।
रामपाल अब पूरी तरह से नेहा के काबू में था। उसने रामपाल के पूरे शरीर को अपने हाथों और जीभ से मसलते हुए, उसके हर अंग को महसूस किया। रामपाल अब पूरी तरह से नेहा के हर आदेश का पालन कर रहा था। नेहा ने उसकी गांड को चाटने और उंगलियाँ डालने के बाद अब रामपाल के लिंग को अपने होठों से घेर लिया था और जोर-जोर से चूस रही थी।
रामपाल अब खुद को संभाल नहीं पा रहा था। उसकी सांसे तेज हो गई थीं, और उसने नेहा से कहा, “बहू, अब और मत तड़पा… अब इसे अन्दर डालने का वक्त आ गया है।” नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बाबूजी, बस थोड़ा और सब्र करें, अभी और मजा आने वाला है।” नेहा ने रामपाल के लिंग को फिर से मसलना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने होठों से उसे और तेज चूसने लगी। रामपाल की सिसकारियाँ अब और भी तेज हो गई थीं। नेहा ने उसकी पूरी गांड को मसलते हुए एक और ऊँगली डाली और फिर रामपाल की आवाज और तेज हो गई।
अब नेहा ने खुद को पूरी तरह से तैयार कर लिया था। उसने रामपाल को बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई। उसने रामपाल के लिंग को अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत के पास रखा और धीरे-धीरे उसे अंदर डालने लगी। रामपाल की आँखें बंद थीं और उसका पूरा शरीर तड़प रहा था। नेहा ने जोर का धक्का मारा और रामपाल का लिंग पूरी तरह से उसकी चूत के अंदर चला गया। नेहा ने एक जोरदार सिसकारी भरी, “आह… बाबूजी… कितना बड़ा है…” अब नेहा ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया और रामपाल के लिंग को अंदर-बाहर करने लगी।
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रामपाल का पूरा शरीर हिलने लगा था, और उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थीं। नेहा ने अपनी रफ्तार तेज कर दी, और रामपाल का लिंग उसकी चूत में गहराई तक जाने लगा। “आह… बाबूजी… बस… और… जोर से…” नेहा ने अपनी आवाज को और तेज करते हुए कहा। रामपाल अब पूरी तरह से तड़प उठा था। उसने नेहा की कमर को पकड़ लिया और खुद भी धक्के मारने लगा। नेहा की चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और वह रामपाल के हर धक्के का पूरा मजा ले रही थी। कुछ देर बाद, रामपाल ने अपने आप को रोक नहीं पाया और जोर से कराहते हुए नेहा की चूत में स्खलित हो गया।
नेहा ने भी एक जोरदार सिसकारी ली और दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों का शरीर अब पूरी तरह से निढाल हो चुका था। नेहा रामपाल के ऊपर निढाल पड़ी रही और दोनों एक-दूसरे की सांसे सुनते रहे। रामपाल ने धीरे से नेहा के बालों को सहलाया और कहा, “बहू, तू तो वाकई में कमाल की है। आज तूने मुझे वो मजा दिया, जो मैंने कभी महसूस नहीं किया था।” नेहा मुस्कुराते हुए बोली, “बाबूजी, ये तो बस शुरुआत है। अब हम और भी मजे करेंगे।” रामपाल ने उसकी बात सुनकर उसे और करीब खींच लिया और दोनों एक-दूसरे के शरीर को अपने बाहों में जकड़ कर सो गए।
कहानी का अगला भाग: ससुर और बहू का खतरनाक खेल – भाग 3
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