ठरकी टीचर सूरज, उसकी बीवी और हॉस्टल की होली

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हाई! मैं आपकी दोस्त निकिता फिर से हाजिर हूँ अपनी नई कहानी के साथ!

मेरी पिछली कहानियों में मैंने बताया था कि कैसे तुषार की गर्लफ्रेंड केशव से कुतीया बन कर चुदी रिया जब वापस चली गई तो मैं और केशव मेरे रूम में जाकर सो गए थे। उस रात केशव की बाहों में सोना मुझे बहुत आरामदायक लगा था। लेकिन जब मैं सोई तो मेरी नींद में एक अनोखा सपना आया।

मेरे सपने में मेरा स्वयंवर हुआ, और केशव मेरे स्वयंवर में आया! हालांकि मेरे स्वयंवर की कथा पार्ट 1 और पार्ट 2 भी आप इसी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं।

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लेकिन जब मैं जागी, तो मुझे एहसास हुआ कि यह सिर्फ एक सपना था। लेकिन मेरा दिल अभी भी केशव के लिए धड़क रहा था…

मैं जागी तो याद आया आज धूलहंडी है, यानी रंगों वाली होली। मैं नहीं खेलना चाहती थी आज होली ।

मैंने अपने फोन पर देखा, और मुझे रश्मि मैडम का कॉल आया। रश्मि मैडम मेरी 12वीं क्लास की हिंदी की टीचर थीं। उन्होंने बताया कि उस स्कूल में सूरज सर सभी लड़कियों पर गंदी नजर रखते हैं, और उन्हें बहला फुसला कर चोदते हैं जिस वजह से लड़कियां गलत रास्ते पर जा रही हैं।

वैसे सूरज भी बहुत अच्छा राइटर है.. उसकी कहानियां भी आप इस वेबसाइट पर ही पढ़ सकते है

चलिए कहानी पर वापस आती हूँ

ठरकी टीचर सूरज, उसकी बीवी और हॉस्टल की होली

मुझे याद आया कि सूरज सर कितने अच्छे और सम्मानित व्यक्ति लगते थे, लेकिन अब मुझे पता चला कि वे कितने खतरनाक हैं। मुझे लगा कि मुझे उनके घर जाकर उनसे पूछना चाहिए। मैंने तुषार को साथ लिया और सूरज सर के घर पहुँची।

लेकिन जब हम उनके घर पहुँचे, तो सूरज सर नहीं मिले। उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला और हमें देखकर मुस्कराई, उनकी बीवी इतनी सुंदर थी हालांकि उनके बूब्स काफी लटके हुए थे। मैंने उनसे पूछा, “सूरज सर घर पर हैं?”

उन्होंने कहा, “नहीं, वे अभी बाहर गए हुए हैं। क्या आप मुझसे कुछ पूछना चाहते हैं?”

मैं सोच में पड़ गई कि क्या मैं उनसे पूछूँ। तुषार ने मुझे इशारा किया कि हमें यहाँ से जाना चाहिए। लेकिन मुझे लगा कि मुझे कुछ और पूछना चाहिए…

उनसे बात की तो पता चला कि सूरज सर अपनी बीवी पर ध्यान नहीं देते और दूसरी लड़कियों की तरफ भागते रहते हैं, सूरज सर की बीवी ने बताया उन्हें सेक्स किए हुए महीनों हो गए हैं । उनकी आँखों में आँसू आ गए और वे रोने लगीं। मुझे उनकी दुर्दशा देखकर बहुत दुख हुआ।

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मैंने उन्हें सांत्वना दी और कहा, “आपको यह सब सहन नहीं करना पड़ेगा। आप भी अपनी जिंदगी का आनंद ले सकती हैं।”

उन्होंने मुझे देखकर कहा, “लेकिन मैं क्या कर सकती हूँ? मेरी जिंदगी तो सूरज सर के साथ ही बंधी हुई है।”

मैंने उन्हें एक इडिया सुझाया, “आप भी सूरज सर को भूल कर मस्ती कर सकती हैं। आप अपनी जिंदगी का आनंद ले सकती हैं।
उनकी आँखों में एक नई उम्मीद की चमक आई। उन्होंने मुझे कहा, “तुम सच मुझे बचा सकती हो? मैं तुम्हारी शुक्रगुजार हूँ।”

मैंने उन्हें कहा, “आप मुझे शुक्रिया नहीं कहें, बस अपनी जिंदगी का आनंद लें।”

और फिर मैंने उन्हें अपनी फ्रेंड सीमा बनाकर हॉस्टल ले आई। वहाँ उन्होंने अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू किया…

हमारे हॉस्टल की होली बहुत खतरनाक होती है, और हम लोगों ने कल इतना सेक्स किया था कि हम लोग बहुत थके हुए थे मैने सूरज सर की बीवी को बोला आपको यह कोई नहीं जानता आप यह अपनी लाइफ को एंजॉय कर सकती हैं, जाइए सब के साथ होली खेलिए ।

सूरज की बीवी रूम से बाहर निकली होली खेलने। हम जिस हॉस्टल में रहते थे, जहां का रिवाज था कि हर विंग से एक एक लड़की एक-एक करके उतरेगी, और उसको रंग पोता जाएगा, और फिर पूरा झुंड अगले विंग की तरफ़ बढ़ेगा, अगली लड़की को रंग लगाने ।

इस होली पर जब सूरज की बीवी उतरी तो उसके साथ भी वैसा ही हुआ। कुछ लड़के लड़की लोगों ने मिल कर उस को अच्छे से रंग लगाया, और आगे बढ़ गये। लेकिन सूरज की बीवी ने देखा कुछ तुषार, केशव और उसके दोस्त लोग कोने में बैठ कर गप्पे मार रहे थे, और भांग पी रहे थे। उनमें से एक दो लड़के रिया के काफ़ी अच्छे दोस्त थे। उनमें काफ़ी हसी-मज़ाक होता था। सूरज की बीवी वहां जा कर सीढ़ी पर उनके साथ बैठ गई और गप्पे मारने लगी। लड़के लोग भी थोड़ा मूड में थे और सीमा यानी सूरज की बीवी को छेड़ने लगे।

“अरे मैडम आपको तो बिल्कुल भी रंग नहीं लगाया। पूरा ख़ाली-ख़ाली लग रहा है आपका”, वे लड़के बोले।

सीमा खीझ कर बोली, “क्या बात कर रहे हैं? ये देखिए कहीं भी नहीं छोड़ा”, सीमा ने अपना हाथ और पेट दिखाया। वो नीली रंग की साड़ी, और गुलाबी रंग का ब्लाउज पहने थी। उसकी साड़ी और ब्लाउज के बीच में काफ़ी पेट दिख रहा था। सीमा ने जब पेट दिखाया तो तुषार ने वहां हाथ लगा कर देखने की कोशिश की। सीमा ने शरारत भारी आवाज़ में उनको हाथ पर धीरे से मारा और बोली, “हाथ दूर ही रखिए साहब। आपकी गर्लफ्रेंड देख लेगी तो आप कहीं भी हाथ रखने लायक़ नहीं रहेंगे।”

इतने में केशव ने सीमा की साड़ी को पाओं से थोड़ा ऊपर उठा दिया और बोले, “अरे ये देखो भाभी आपकी गोरी-गोरी टांगों पर तो थोड़ा भी रंग नहीं लगा।” कहते हुए उसने सीमा की साड़ी घुटने के थोड़ा और ऊपर तक उठा दी।

सीमा बिलकुल से शर्मा गई और एक झटके में साड़ी नीचे कर दी और बोली, “आप लोग तो बिलकुल पागल हैं।” बोल कर साड़ी का पल्लू हटा कर अपनी गर्दन और गले के नीचे का हिस्सा दिखाया, कि देखो यहां तक रंग लगाया है।

“अरे भाभी जी, ये तो ब्लाउज के ऊपर रंग लगाया है, ब्लाउज के अंदर तो सब साफ़ साफ़ गोरा-गोरा पड़ा है ना। हम तो अंदर तक जाना चाहते हैं”, वे लोग मुस्की मारते हुए बोले।

सीमा थोड़ा दिखावे का ग़ुस्सा करते हुए बोली, “आप लोगों के साथ तो बैठना भी मुश्किल है। अगर ब्लाउज के अंदर रंग लगाना है ना तो अपनी गर्लफ्रेंड को जाकर लगाइए।” बोल कर सीमा उठ कर जाने लगी।

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तुषार से रहा नहीं गया तो बोल पड़ा, “अरे भाभी जी, अगर हमारी बंदियों का आपके जैसा भरा पूरा बदन होता, तो हम क्यों आपके बदन की तरफ़ सारा दिन ताक लगाये बैठे होते?”

चारों लोग हंस पड़े, आपस में इशारा किया, और उतने में सीमा उठ कर जाने लगी। लेकिन तुषार पूरे मूड में था। वो भी सीमा के पीछे गया और उसे गोदी में उठा लिया।

वो बोले, “अरे भाभी जी इतनी जल्दी कहां है जाने की? सब तो अभी यहीं होली खेल रहे। थोड़ा हमारे साथ भी आज रंग खेल लीजिए। आज तो आपको पूरा रंग लगा कर ही छोड़ेंगे।” बोल कर उसने सीमा को अपने कंधे पर उठा दिया, और पीछे के रास्ते से हॉस्टल के पीछे एक सुनसान जगह ले जाने लगा।

सीमा अपने हाथ-पैर मारने लगी, और उनसे भीख मांगने लगी कि गोदी से उतार दे। लेकिन वो हाथ पांव मारने के अलावा ज़्यादा कुछ बोल नहीं रही थी। बल्कि थोड़ा-थोड़ा मुस्कुरा रही थी। वे भी सीमा की गांड को प्यार से थपथपा रहे थे। एक दो बार तो वो सीमा की गांड के बीच के छेद पर भी अपना हाथ मल दे रहे थे। इससे सीमा के मुंह से आह भी निकल जा रही थी।

तुषार बोला, “बस भाभी थोड़ा रंग खेल कर आते हैं। उसके बाद आप चले जाना।” पीछे-पीछे वो चलने लगे जिससे की किसी को दिखाई ना दे और शक ना हो। जल्दी से वो बिलकुल सुनसान जगह से होते हुए वह हॉस्टल के पीछे एक बिल्डिंग जो की आधी बनी थी, और उस पर काम चल रहा था, उसके सामने खड़े हो गये।

वहां पानी का एक बड़ा सा टैंक था,‌ जिसको चारों तरफ़ ईंट से घेरा हुआ था। तुषार ने सीमा को उसी पानी में फेंक दिया। पानी में गिरते ही सीमा की साड़ी बिलकुल जांघ तक उठ गई। वो जल्दी से अपने हाथ से साड़ी नीचे करने लगी कि तभी तुषार भी पानी में कूद गया और सीमा की तरफ़ चल कर आने लगे। सीमा थोड़ा हंस कर और थोड़ा शरारत से बोली, “अरे भाई साहब, रंग लगाने के लिए पानी में डालने की क्या ज़रूरत है?” तुषार बिना कुछ बोले सीमा के पास आते रहा ।

“सीमा भाभी हम पानी में आपको आज रंग भी लगायेंगे और अंग भी लगायेंगे।” बोलते-बोलते तुषार ने पानी में हाथ डाला, और सीमां की साड़ी और पेटीकोट दोनों को जाँघों के ऊपर तक उनकी चूत से बस थोड़ा सा ही नीचे लाकर रोक दिए।

ऊपर खड़े तीन लड़के बहुत बेचैन हो रहे थे, “अरे थोड़ा अच्छे से देख तुषार भाभी जी ने चड्ढी पहनी है या हम लोगों को रिझाने के लिए ऐसे ही नंगी आ गई?” केशव की बेचैनी उनकी आवाज़ में झलक रही थी।

“तो ख़ुद ही आकर देख ले ने भाभी ने चड्ढी पहनी है या नहीं।” तुषार हंसते हुए सीमा के चेहरे के पास गया और उनके मुंह पर मुंह रख दिया और किस करने लगे। सीमां ने थोड़ा ज़ोर लगा कर उस को पीछे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन उस कोशिश में ज़ोर बहुत था, पर इच्छा कम थी। ना चाहते हुए भी उनके होंठ तुषार के होंठ से जुड़ गये और उनका चुंबन गहरा होता गया।

तुषार ने एक हाथ से सीमा का एक हाथ उसकी पीठ के पीछे पकड़ रखा था, और दूसरे हाथ से वो सीमां की चूची दबा रहा था केशव से अब रहा नहीं गया, और वो भी पानी में कूद पड़ा। हालांकि सीमां तुषार के काफ़ी क़रीब थी, लेकिन केशव से उन्हें थोड़ा भी लगाव नहीं था। लेकिन केशव को क्या फ़र्क़ पड़ता था। वो तो बस देखना चाहते थे कि सीमा ने चड्डी पहनी थी कि नहीं।

केशव ने सीमा की साड़ी पूरी कमर तक उठा दी, और उनकी पैंटी को खींच कर घुटने तक ला दिया। अब सीमां हर तरफ़ से फस गई थी। उनकी काली पैंटी जिस पर सफ़ेद सफ़ेद प्रिंट बने हुए थे, अब वो सब को दिख रही थी।

इनके दोस्त रोहन से अब रहा नहीं जा रहा था। “अरे अब देख कर बता भाभी जी चिकनी है कि झांट लेकर होली खेलने आई है?”

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तुषार 2 सेकंड के लिए अपना मुंह सीमां के मुंह से बाहर निकाला, और बोला, “अबे शर्मा क्यों रहा है, ख़ुद आकर देख ले ना”। रोहन अपने लंड को टटोलते हुए पानी में कूद पड़ा। वो सीमां के पीछे खड़े होकर सीधा हाथ उनकी टांग के बीच में डाल कर उनकी चूत को मलने लगे।

“भाभी जी तो चिकनी है”, बोलते-बोलते रोहन ने अपनी उंगली सीमां की चूत के अंदर डाल दी। दूसरे हाथ से वो सीमा की गांड को मल रहा था। सीमा कोशिश बहुत कर रही थी कि उनको रोके, उनका दिमाग़ कह रहा था कि उन्हें ये नहीं करना चाहिए। लेकिन उनका दिल और उनका शरीर साथ नहीं दे रहे थे।

आखिर सूरज सर ने उन्हें इतने दिनों से छोड़ नहीं था ।

उधर तुषार 5 मिनट तक चुम्मी लेकर गरम हो चुका था । उसने सीमा की साड़ी पूरा गोल-गोल घुमा कर उनके बदन से निकाल दी। अब वो सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। उनकी पैंटी अभी भी घुटने पर अटकी थी।

“पहले रंगे? या पहले चोदे?” तुषार से रहा नहीं जा रहा था।

“अरे अकल के दुश्मन पहले अच्छे से चोद ले, फिर रंग लगा कर भाभी जी को घर भेज देंगे।” किसी ने तो बोला।

सीमा ये सुन कर मुंह बना ली। “प्लीज़ मुझे जाने दो। चाहे जितना रंग लगा लो, जहां चाहे लगा लो, लेकिन प्लीज़ वो मत करो।” सीमां अपने हाथ जोड़ने लगी। लेकिन हाथ जोड़ने के बाद उन्होंने अपने पाओं नहीं जोड़े।

तुषार सीमां के ब्लाउज का हुक खोलने लगा। सीमां बार-बार धक्के मार कर उनके लिए मुश्किल कर रही थी। लेकिन मुंह से बिलकुल आवाज़ नहीं निकाल रही थी। एक तो ऐसे ही ब्लाउज गीला होने से खोलना मुश्किल हो रहा था। जब सीमां ने 2-3 बार रोक दिया तो सब बिलकुल से ग़ुस्सा गए।‌ फिर केशव बोले, “अरे क्यों गुस्सा हो रहे हो? खड़ी तो है ये रण्डी की तरह चुदने के लिए”। सीमां फिर दुबक कर पानी में बैठ गई थी। सब जानते थे वो खुद यही चाहती है ।

सब ने एक झलक सीमां को देखा और उसके आधे नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक निहारा। फिर ज़ोर से ठहाका मार कर हंस पड़े। “बिलकुल रण्डी लग रही है सीमा भाभी आज। बस पूरी नंगी हो जाये फिर हम इसे अपना लंड खिलायेंगे।” कहते-कहते केशव सीमां के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगे। सीमां ने नाड़ा बहुत टाइट से लगाया था, और बहुत ज़्यादा गांठ लगा रखी थी। केशव कोशिश करते रहे लेकिन नाड़ा नहीं खुला।

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सीमां के मुंह से हंसी आ गई। केशव का चेहरा ग़ुस्से से लाल हो गया। “उधर तुषार फिर से ब्लाउज का हुक खोल रहा था, और मुश्किल से एक हुक खोल पाये थे। सीमा से रहा नहीं गया और हंसते हुए बोली, “लगता है तुम लोगों की बंदियों को तुमसे कपड़े खुलवाने की आदत नहीं है।” सीमां ने अपनी बात ख़त्म भी नहीं की थी, कि केशव पीछे से सीमा के चूत में उंगली डाल दिये।

पहले एक, फिर दो, फिर तीन, और खूब ज़ोर-ज़ोर से उंगली अंदर-बाहर करने लगे। केशव ने सीमां का नाड़ा पकड़ा,‌ और 2-3 झटके में ही उसके टुकड़े कर दिये। पूरा पेटीकोट पांव से सरक कर नीचे आ गया। अब उसकी चूत साफ़ नज़र आ रही थी। समझ नहीं आ रहा था कि उसने शेव किया था, या स्वाभाविक रूप से चिकनी थी। तुषार ने फिर थोड़ा सब्र दिखाया और एक दो हुक और खोलने की कोशिश की।

अब उस से और रहा नहीं जा रहा था और उसने भी एक ज़ोर का झटका देकर सारे हुक फाड़ डाले। पीछे से केशव ने सीमा का ब्रा का हुक खोल दिया, और उनके कंधे से ब्रा की तनी‌ को नीचे सरका दिया, और चूचे दोनों बाहर खुली हवा में कर दिये।

सीमां के नंगे चूंचे बाहर लटकते ही जैसे इन लोगों की आंख फटी की फटी रह गई। उनके भूरे-भूरे निपल उत्तेजना से लंबे हो गए थे। रोहन ने सीमां की एक चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा। केशव ने दूसरा वाला मुंह में लिया। अब सीमां भी कुछ नहीं बोल रही थी, और बस आंखें बंद करके आहें भर रही थी।

तुषार से अब रहा नहीं जा रहा था, और जल्दी से अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना खड़ा लंड बाहर निकाला।

सीमा अब फिर से बोली: प्लीज़, मैं नंगी तो खड़ी हूं। जहां चाहे रंग लगा लो, बस ये सब मत करो।

“चुप रण्डी, नंगी खड़ी है और बड़ी-बड़ी बात कर रही है। पकड़ मेरा लंड और अच्छे से हिला, अभी और बड़ा होगा”। धीरे-धीरे सीमा ने उसको आगे-पीछे किया तो वो एक इंच और लंबा हो गया। अब तुषार ने लंड को सीमां की चूत के ऊपर रखा, उनका कंधा पकड़ा, और धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया।

पहले 2-3 धक्के में आधा अंदर घुस गया था, और सीमां ने अपनी आंखें बंद कर ली थी। वो बराबरी से तुषार के धक्कों का जवाब धक्कों से दे रही थी। इतने में केशव ने अपनी पैंट उतार दी, और अपना लंड लेकर खड़े हो गया।

रोहन देख कर हंस कर बोला। “अबे रुक जा, क्यों बेचैन हो रहा है? एक म्यान में दो तलवार नहीं जा सकती। भाभी जी रण्डी बन गई है आज, इसका मतलब ये नहीं कि चूत रंडियों वाली है। एक बार में एक ही डालते हैं।” सुन कर सब हंस पड़े।

केशव बोले, कौन सा मुझे चूत चाहिए अभी। मुझे तो भाभी जी का मुंह चाहिए। बोल कर वो पानी से बाहर निकल गये, और किनारे पर खड़े होकर सीमां का मुंह अपनी लंड पर लगाया, और एक झटके में अंदर डाल दिया। अब एक तरफ़ सीमां की चूत में तुषार घपा-घप कर रहा था, और दूसरी तरफ़ केशव मुंह में डाल रहे थे।

सीमा धीरे-धीरे आह भरते हुए दोनों को अपने अंदर ले रही थी। अब रोहन और दूसरा दोस्त सीमा की दोनों चूचियों को चूस रहे थे। सीमां पूरी गरम हो रही थी और मुंह से आहें और आवाज़ निकाल रही थी।

क़रीब 10-15 मिनट तक तुषार सीमा की चूत चोदा। फिर अपना पूरा पानी वहीं अंदर निकाल दिया। उसके पहले ही सीमां जैसे उसका कंधा पकड़ कर धक्के मार रही थी। लग रहा था उनका भी झड़ गया था। अब केशव भी अपना शुरू का लीक निकाल रहे थे। उसने मैदान ख़ाली देख कर सीमां के मुंह से अपना लंड निकाला, और फिर जल्दी से पानी में उतर कर सीमां की चूत में डाल दिया, और ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगे।

सीमा अब पूरी तरह खो गई थी। थोड़ी बहुत जो झिझक और रुकावट उनके दिल में थी, वो निकल चुकी थी। दोनों दोस्त खूब ज़ोर-ज़ोर से और बारी-बारी से सीमां की दोनों चूचियों को चूस रह थे, और दबा रहे दे। बीच-बीच में वह उनके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच में रख कर उसे चुटकी के बीच रख कर दबा रहे थे। तभी रोहन अपनी पैंट की ज़िप खोला और बोला केशव को,‌ “चल तू सीधा लेट जा और सीमा को तेरे ऊपर चढ़ने दे। फिर मैं इसकी पीछे से लेता हूं।”

सीमां बिलकुल से घबरा गई, “नहीं-नहीं मैंने कभी पीछे से नहीं लिया।” वो गिड़गिड़ाती हुई बोली। अचानक जैसे उसको होश आया और समझ में आया कि उसका कोई भी छेद आज सलामत नहीं रहेगा। लेकिन उसकी बात सुनने के लिए कोई नहीं था। केशव ने सीमां को अपने ऊपर लिटाया,‌ और वापस चूत में अपना लंड एक धक्के में डाल दिया।

पीछे से रोहन आया, और सीमा की टांगे फैलायी और गांड के छेद में अपना थूक लगाया। फिर धीरे-धीरे अपना 5 इंच का लंड जो कि शायद उन चारों में सबसे छोटा था, सीमां की गांड में डाल दिया। लेकिन जितना भी छोटा हो, सीमां की गांड ने पहले कभी लंड नहीं गया था। उनकी कुंवारी गांड की सुहाग रात हो गई।

उसने ने धीरे-धीरे अंदर धक्का देते हुए पूरा लंड अंदर डाल दिया, और अंदर-बाहर करने लगे। उधर केशव भी पूरे ज़ोर से सीमां को चोद रहे थे। सीमा के मुंह से केवल अब एक ही आवाज़ निकल रही थी, “आह आह आह, ऊई मां, आह आह ओह, मुझे जाने दो, आह, ओह, ऊई मां।”

केशव ज़्यादा देर सीमां की चूत में नहीं रह पाये, क्योंकि‌ वो 10-15 मिनट उनके मुंह में डाल चुके थे। 3-4 मिनट के अंदर ही वो पूरा झड़ गये। लेकिन सीमां को एक बार और झड़ने की कगार पर खड़ा करके। उधर रोहन सीमां की गांड में डाल रहा था, और केशव के ठंडे पड़ते ही सीमां का ध्यान पूरी तरह गांड पर आ गया। जैसे-जैसे सीमां की गांड में वे अंदर डालते रहे, वैसे-वैसे सीमां को जोश चढ़ता रहा।

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एक दोस्त ने पीछे से सीमा की चूची पकड़ रखी थी,‌ और पूरे पागलों की तरह उसे मसल रहे थे। सीमां दो बार झाड़ चुकी थी, और तीनों लोग अपना काम कर चुके दे। चौथा दोस्त बहुत बेताब हो रहे था बहुत देर से। उसने इंतज़ार किया रोहन का ख़त्म होने का। वो अपना पानी सीमां की गांड में निकाल कर ही दम लिया।

सीमां की थकान उनके चेहरे पर दिख रही थी। लेकिन औरत का काम चुदना होता है। वो दोस्त सीमां की चूची पर हाथ फेरने लगा, और सीमां एक बार से उत्तेजना की सीढ़ियां चढ़ने लगी। उस ने सीमां के एक मम्मे को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, और दूसरे को खूब अच्छे से दबाने लगे। पहले बिलकुल नीचे से चूची दबायी, ताकि पूरी चूंची ऊपर से पतली हो जाये, और उनके मुंह में चली जाए। पहले कभी किसी ने सीमां की चूंची को इस तरह नहीं दबाया था। सीमां फिर से गीली होने लगी थी। दोस्त ने उनकी चूत में धीरे-धीरे उंगली की, तो उनकी टांगे अपने आप ही और फैल गई।

“ओह मां। डाल दो मेरे अंदर” सीमां आंख बंद करके मांगती रही। उस का भी खड़ा था। उन्होंने बेझिझक सीमां को पानी से बाहर निकाल कर ज़मीन पर लिटाया। फिर उनकी टांग फैलायी, और एक झटके में अंदर डाल दिया। वे ख़ुद तो दुबले पतले थे, लेकिन उनका लंड बहुत मोटा था। जैसे ही उन्होंने सीमां के अंदर डाला, सीमां चीख उठी।

“प्लीज़ थोड़ा धीमे-धीमे।” सीमां के मुंह से अब आवाज़ नहीं निकल रही थी। किस तरह से उन्होंने लंड अपने अंदर लिया था, ये उनके सिवाय कोई नहीं समझ सकता था। वे पूरे ज़ोर से अंदर-बाहर कर रहे थे कि तभी रोहन का मन मचला और वो सीमां के मुंह को अपनी तरफ़ घुमाए, और गांड में गये हुए अपने लंड को सीमां के मुंह में डाल दिया। फिर बोला

“मेरा कब का सपना था कि किसी औरत को गांड में चोद कर फिर उसको अपना लंड चुसवाऊंगा। बीवी तो देगी नहीं। इसलिए सोचा आज भाभी जी से ही अपना सपना पूरा किया जाए।”

सीमां मुंह बंद रख रही थी तो उस ने सीमां का जबड़ा पकड़ कर इतनी तेज़ दबाया कि मुंह अपने आप खुल गया। उस ने मुंह में बिलकुल बेदर्दी से अपना लंड ठूस दिया। फिर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। सीमां को घिन आ रही थी, लेकिन रोहन को फ़र्क़ नहीं पड़ा। इतने में तुषार वापस आ गया, और सीमां को अपना लंड पकड़ाया, और हिलाने को बोला। सीमां समझ गई कि अब क्या होने वाला था।

उसकी चुदाई फिर सीमां को उत्तेजना की चरम सीमा पर ले जा रही थी। । धीरे-धीरे केशव अपना पानी गिराने के कगार पर थे। त्तुषार भी अपना लंड मोटा कर रहा था, सीमां का हाथ थका जा रहा था। लेकिन रुक नहीं रहा था। ऐसे की जैसे उनको ये सारे लंड बहुत पसंद आ गये हो।

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तभी केशव सीमां की दूसरी तरफ़ आ गये, और अपना लंड सीमां के दूसरे हाथ में रख दिया और बोले, “चल शुरू हो जा रण्डी। आज तो तुझे पूरा अपने पानी और वीर्य से नहला देंगे”। सीमां अभी भी दोनों दोस्त के धक्कों के तले आहें भर रही थी। यादव अंकल और त्रिपाठी अंकल अपना लंड फिर से हिलवा रहे थे सीमां के हाथ में पकड़ा कर। जबकि रोहन ने सीमां के मुंह को ही चूत समझ लिया था।

वो धका-धक सीमां में मुंह में दायें से बायें और आगे से पीछे किए जा रहे थे। सीमां भी मस्त होकर उचक-उचक कर उनकी चूत दे रही थी। थोड़ी ही देर में तुषार का वीर्य पूरा निकल गया, और सब कुछ सीमां के सीने पर चूची पर और पेट पर गिराया। अब केशव भी झड़ने की कगार पर थे, और उन्होंने अपना सारा पानी सीमां के मुंह और गाल और गर्दन पर गिरा दिया।

“चलो अब भाभी के साथ वो करते हैं जिसके लिए इनको लाये थे।” रोहन की बात सुन कर सब भौचक्के हो गये। जिस काम के लिए सीमां को लाये थे वो तो कर दिया। चारों ने 2-2 बार चोद लिया था सीमां को। “अरे अभी तो रंग लगाया ही नहीं भाभी जी को। लेकिन मैं सोच रहा हूं रंग के लिए पानी जो है वो भाभी जी ख़ुद ही निकालेंगी”। कहते-कहते उन्होंने इशारा अपने लंड की तरफ़ किया। तीनों लोग बाक़ी हंसने लगे।

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फिर वे लोग सूरज सर की बीवी को यानी सीमा को नंगी ही हॉस्टल में ले आए, सब लोग बहुत खुश हुए की इस बार होली मजेदार होने वाली है। सूरज सर की बीवी मेरे पास आई और बोली … थैंक्यू निकिता मेरी ये बेस्ट होली रहेगी मैने उसको गले लगाया और फिर हम दोनों ने एक दूसरे के बूब्स पर रंग लगाया

हमने स्माइल की और सीमा फिर लड़कों के बीच चली गई।

मैं भी वीडियो बनाने लगी ताकि सूरज सर को दिखा सकू…

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